व्हाट्सएप्प ग्रुप एडमिन


एक व्यक्ति जो नियमित रूप से अपने दोस्तों के साथ ग्रुप में वयस्त रहा करता था। अब वो बिना किसी अपॉइंटमेंट के दोस्तों से बातचीत करना भी बंद कर दिया।

कुछ हफ्तों के बाद, एक बहुत ठंडी रात को उस ग्रुप के एडमिन ने उससे मिलने का फैसला किया। वह व्यक्ति घर पर अकेला पाया गया। ठण्ड के मौसम में वहाँ एक बड़ी खामोशी बिसरी पड़ी थी। वो एक चिमनी के सामने बैठा था जहाँ एक आरामदायक आग जल रही थी। यात्रा का कोई खास वजह सोचकर, उसने एडमिन का स्वागत किया।

अब दोनों व्यक्ति हवा से उड़ते आग की लपटों को निहार रहे थे जो कि चिमनी से निकल थी। कुछ मिनटों के बाद, एडमिन ने बिना कुछ कहे, उन अंगारों की जांच की, जिनमें से एक का चयन किया और उनमें से एक जो सबसे ज्यादा चिंगारी पैदा कर रहा था उसे चिमटे से साथ हटा दिया।

मेजबान व्यक्ति हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से जल रहे अकेले अंगारे की लौ थम सी गई थी। थोड़े समय बाद ये कोयले के काले, ठंडे और मृत टुकड़े से ज्यादा कुछ नहीं बचा था। ठंड के कारण वहां बैठना मुश्किल हो रहा था।

अभिवादन के बाद दोनों में ज्यादा बातचीत नही हुई थी। अब वापस जाने के लिए तैयार होने से पहले तुरंत एडमिन ने सबसे ज्यादा चिंगारी पैदा करने वाले कोयले का उपयोग कर अंगारे को फिर से जला दिया और घर फिर से चारों ओर जलते हुए लपटों ​​की रोशनी और गर्मी से भर गया।

जब एडमिन वापस जाने के लिए दरवाजे पर पहुंचा, तो मेजबान व्यक्ति ने कहा, आपकी यात्रा के लिए के लिए धन्यवाद। मैं ग्रुप में वापस फिर आ जाऊंगा और दोस्तों के साथ मिलने जुलने के लिए अपॉइंटमेंट का नाटक भी नहीं करूंगा।

इस कहानी से ये ज्ञान मिलती है कि एक-दूसरे की लौ जलाने के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं और हम सभी के बीच बातचीत और मेल-जोल को बढ़ावा देना चाहिए ताकि हमारे अपनत्व की आग वास्तव में मजबूत, प्रभावी और स्थायी हो। हालाँकि यह जानकर अच्छा लगेगा कि कुछ घटनाएं छिटपुट रूप से अपनी लौ जलाती रहती हैं!

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सुदेश कुमार
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